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मुरूम घोटाला की जांच हुआ आरंभ,घोटाला के आरोपी ही जांच में रहे भागीदार

Girish Joshi

09-06-2024 05:21 AM
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केशकाल। बडेराजपुर जनपद पंचायत में सुर्खियों में रहने वाले चर्चित " मुरूम घोटाला "की जांच के लिए बस्तर संभाग के डिप्टी कमिश्नर,आर .ई.एस.के अधीक्षंण यंत्री कार्यपालन अभियंता के सांथ बड़े राजपुर ब्लाक मुख्यालय विश्रामपुरी पंहुचकर जांच आरंभ किया । जांच में वही उपयंत्री और सचिव मार्गों का नाप जोख तथा टेस्ट कराने में लगे रहे जिन पर गड़बड़ी करने कराने का आरोप लगा हुआ है ।

ज्ञात हो कि 7 जून को सुबह लगभग 11 बजे डिप्टी कमिश्नर जांच दल सदस्यों के सांथ जनपद मुख्यालय पहुंचे और कुछ देर तक दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद स्थल अवलोकन करते जांच करने ग्राम पंचायत बालेंगा पंहुचे ।

ग्राम पंचायत बालेंगा के प्रथम मार्ग का निरीक्षण कर जब एक ग्रामीण से डिप्टी कमिश्नर ने उसका कथन लिया तो उसने बताया कि इस मार्ग के मुरमीकरंण में 18 लाख खर्चा नहीं हुआ होगा । किसी भी मार्ग में जनसूचना फलक लगा हुआ नहीं पाया गया, जिससे वहां के वार्ड पंचों तथा ग्रामीणों को भी यह मालूम नहीं हो पाया था कि मार्ग उन्नयन के नाम से मुरूम डालने का काम किस मद से कराया जा रहा है और हर मार्ग निर्माण के लिए कितनी धनराशि स्वीकृत हुई है । मार्गो के जांच के समय वही उपयंत्री और पंचायत सचिव मार्गों का नाप जोख करते रहे जिन पर गड़बड़ी कराने का आरोप है । जांच में आगे आगे उसी उपयंत्री,सचिव तथा सरपंच के स्थल पर रहने के चलते गांव वाले भी सही बात बताने से हिचकते रहे और सरपंच, सचिव उपयंत्री के पक्ष में बोलकर कथन बयान की खानापूर्ति कर देने में अपना योगदान देते दिखे ।

जांच के समय पंहुचे हुए क्षेत्रवासियों ने इस पर आपत्ति जाहिर करते गड़बड़ी में संलिप्त रहे उपयंत्री,सचिव के अगुवाई और उपस्थिति में जांच होने से जांच प्रभावित होने की बात कहते लिखीत में मांग पत्र दिया कि सही निष्पक्ष जांच के लिए निम्न तथ्यों की जांच किया जावे । परन्तु क्षेत्रवासियों के सुझाव,आपत्ति और मांग पत्र पर गंभीरता से गौर नहीं किया गया ।

डिप्टी कमिश्नर व उनका जांच दल एक ही पंचायत के मार्गों की स्थिति का अवलोकन कर फिर आने की बात कह निकल गये । 

 उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार द्वारा अधोसंरचना विकास एवं पर्यावरण उपकर से मार्ग उन्नयन हेतु बड़े राजपुर जनपद पंचायत के 10ग्राम पंचायत को दस करोड़  62लाख 56हजार रूपया प्रदान किया गया था । उक्त धनराशि से जिस तरह से स्वीकृत कार्य पंचायत क्षेत्र के बाहर के लोगों के देखरेख में आनन फानन में कराया गया और स्वीकृत धनराशि का आहरंण भुगतान सामान्य प्रक्रिया से हटकर किया कराया गया उसके चलते ही हुआ मार्ग उन्नयन कार्य " मुरूम घोटाला कांड " के तौर पर चर्चित हो गया ।


मात्र 40%राशि पंचायत में, शेष अनाधिकृतों के खाते में--

बताया जाता है कि अधोसंरचना विकास एवं पर्यावरण उपकर निधि से धनराशि स्वीकृति से लेकर स्वीकृत धनराशि के अंतिम समायोजन तक बहुत ही खास प्रक्रिया ईजाद किया गया और सबकुछ पंचायत राज के परंपरा प्रक्रिया से हटकर हुआ ।

पहली बार इस मद से धनराशि क्षेत्र के पंचायतों में आया वो भी मात्र 10 पंचायत में शेष पंचायत वाले अचंभित रह गये कि हमारे पंचायत में पैसा क्यों नहीं आया - ?

जानकार बताते हैं कि स्वीकृत धनराशि में से मात्र 40 फिसदी धनराशि ग्राम पंचायत के खाते में आया शेष धनराशि उन बिचौलियों के खाते में आ गया जिनका पंचायत से कभी कोई नाता रिश्ता नहीं रहा ।

और जब काम चालू हुआ तो पंचायत के सरपंच पंच की बजाय बाहर के लोग काम कराने पंहुच गये और उन बाहरी लोगों ने ही मुरूम उत्खनन के लिए जे.सी.बी.व परिवहन के लिए ट्रैक्टर वालों से रेट तय किया तथा अपने हिसाब से खुद उन्हें भुगतान किया । किसी भी कार्य स्थल पर स्वीकृत धनराशि एवं अन्य जानकारी अंकित कर जन सूचना फलक लगवाये बगैर ही काम चालू कराया और आनन फानन में मात्र कुछ दिनों में मार्ग उन्नयन का खानापूर्ति पूर्ण कर दिया । 

स्वीकृत धनराशि में व्यापक पैमाने पर भर्राशाही भ्रष्टाचार किए जाने के चलते पूरे ब्लाक और जिला में यह " मुरूम घोटाला " के तौर पर चर्चित हो गया जो विधानसभा चुनाव के दरम्यान एक मुद्दा बनकर उभर गया और कांग्रेस पार्टी पर इसका कलंक थोपा गया । जो विधानसभा चुनाव परिणाम को बहुत हद तक प्रभावित भी किया और पार्टी की पराजय हुई थी ।

विधानसभा चुनाव के बाद इसकी लिखीत शिकायत

बस्तर कमिश्नर को की गई थी,जिस पर कमिश्नर ने जांच का जिम्मा डिप्टी कमिश्नर को सौंपते हुए जांच का आदेश जारी किया । फलस्वरूप कमिश्नर के जांच आदेश के परिपालन में डिप्टी कमिश्नर द्वारा जांच आरंभ कर दिया गया है पर जिस तरह से आरोपी उपयंत्री एवं सचिव को ही जांच में शामिल रख जांच किया जा रहा है उसको लेकर जांच पर सवाल खड़ा किया जाने लगा है ।

मार्ग उन्नयन के सभी 62 कार्यों के लिए प्रति किलो मीटर18लाख 32हजार का रेडिमेट प्राक्कलन बनाने वाले उपयंत्री तथा पंचायत सचिव सहित मामले में संलिप्त लोगों को जांच से दूर रखते हुए जांच तक विवादास्पद उपयंत्री को अन्यत्र संलग्न अथवा स्थानांतरित करके जांच करने की मांग उठने लगी है।

मार्गो का भौतिक सत्यापन करने के साथ आहरंण भुगतान की भी सूक्ष्म जांच की मांग उठी


शिकायत पर प्रारंभ हुई जांच,कार्य होने के दो वर्ष बाद बरसात बाद होने से गड़बड़ी में संलिप्त लोगों द्वारा असत्य भ्रामक जानकारी देकर अपने आपको बचाने की हरसंभव कवायद किया जा रहा है जिसको देखते हुए क्षेत्रवासियों ने जांच दल से यह मांग किया है कि मार्ग का अवलोकन करने के सांथ स्वीकृत धनराशि के आहरंण भुगतान की जांच करते जिन लोगों को भुगतान करना दर्शाया गया है उनका भी कथन बयान दर्ज किया जावे और कराये गये कार्य का भुगतान करने ग्राम पंचायत से पारीत किए गये प्रस्ताव का अवलोकन कर प्रस्ताव में अंकित एवं पंचायत कार्यवाही रजिस्टर में उपस्थित दर्शाये गये पंचों का कथन बयान लेकर हकिकत की जानकारी लिया जावे ।इसके सांथ ही इस बात की भी जानकारी लिया जावे की काम किसके दिशा निर्देश पर किस मेट से कराया गया था । 

यह मांग करने वाले क्षेत्रवासियों ने प्रतिनिधि को बताया की सभी पंचायत में मार्ग उन्नयन का काम स्थानीय सरपंच सचिव मेट से न कराकर चुनिंदा बाहर के लोगों से कराया गया और काम करने वाले ट्रैक्टर वालो,जे सी बी वालों को भुगतान भी पंचायत के बाहर के लोगों द्वारा ही कराया गया था ।

लोग अभी से यह सवाल खड़ा करने लगे हैं कि जांच दल द्वारा मामले की जांच सही ढंग से पूरी निष्पक्षता एवं पारदर्शिता पूर्ण किया जायेगा की मात्र खानापूर्ति कर करोड़ों के घोटाले पर लीपापोती कर दिया जायेगा ..? वैसे चल रहे जांच की तरफ सभी लोगों की निगाहें लगी हुई है और लोग इंतजार कर रहे हैं की कब जांच पूर्ण कर जांच दल द्वारा क्या प्रतिवेदन दिया जाता है - ?

Girish Joshi

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