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पृथ्वी दिवस पर शासकीय गुण्डाधुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोंडागांव में आयोजित हुआ पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम

Girish Joshi

23-04-2025 04:42 PM
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पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेषज्ञों ने दिए सुझाव

कोंडागांव

शासकीय गुण्डाधुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कोंडागांव में आंतरिक गुणवत्ता एवं आश्वासन प्रकोष्ठ तथा भूगोल विभाग के संयुक्त तत्वावधान में पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों एवं शिक्षकों में पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, एवं सतत विकास के प्रति चेतना का प्रसार करना था।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. चेतन राम पटेल के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने जनसंख्या वृद्धि और नगरीकरण के कारण बढ़ते प्रदूषण की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि प्रकृति को बचाने के लिए हमें नवाचारी उपायों की तलाश करनी चाहिए।

समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. किरण नुरुटी ने आदिवासी समुदायों की प्रकृति-पूजक संस्कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि जनजातीय समाज से हमें पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने छात्रों को अधिक से अधिक वृक्षारोपण और जैव विविधता के संरक्षण का संदेश दिया।

इतिहास विभाग के डॉ. पुरोहित सोरी ने पृथ्वी को 'ग्रह नहीं, गृह' बताते हुए IPL में BCCI द्वारा एक डॉट बॉल पर एक वृक्षारोपण की पहल की सराहना की और कहा कि हमें भी ऐसे छोटे लेकिन प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

वनस्पतिशास्त्र विभाग के शशिभूषण कन्नौजे ने ग्लोबल वार्मिंग और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग पर प्रकाश डालते हुए प्लास्टिक का उपयोग कम करने और अधिक से अधिक पौधे लगाने की बात कही।

रसायन शास्त्र विभाग के प्राध्यापक नसीर अहमद ने पृथ्वी को 'अपना घर' बताते हुए जिस तरह अपने घर को सजाते संवारते हैं वैसे ही पृथ्वी को भी संरक्षित करने की, घर और अपने कार्यस्थल के बिजली उपकरणों को उपयोग न होने पर बन्द रखने, पानी का मितव्ययी तरीके से उपयोग करने और ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का सुझाव दिया।

हिंदी विभागाध्यक्ष विनय कुमार देवांगन ने रहीम के दोहे "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून" के माध्यम से जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि जल का संरक्षण पृथ्वी संरक्षण का ही अंग है।

वाणिज्य विभाग के डॉ. आकाश वासनीकर ने ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्री जीवन को हो रहे नुकसान की चर्चा करते हुए पर्यावरणीय नैतिकता पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता बताई।

भौतिक विभाग के लोचन वर्मा ने पृथ्वी दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसकी शुरुआत सन् 1970 में हुई थी और तब से यह दिन वैश्विक रूप से पर्यावरण जागरूकता का प्रतीक बन गया है।

भूगोल विभागाध्यक्ष समलेश पोटाई ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताते हुए इसके प्रति जन-जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया।

अतिथि व्याख्याता शिल्पा दर्रो ने इस वर्ष की थीम की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए पर्यावरण अनुकूल उत्पादों को अपनाने और प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की बात कही।

कार्यक्रम का संचालन भूगोल विभाग के अतिथि व्याख्याता जगतु राम नेताम ने किया। उन्होंने सभी प्राध्यापकों एवं विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर महाविद्यालय के एम.ए. एवं बी.ए. द्वितीय सेमेस्टर के विद्यार्थी— मनीष सोढ़ी, आफरीन जहां, काजल नागेश, राधेश्याम नाग, पुल्ली लक्ष्मी, चंदा देवांगन, शेख ताहेरा, शेख साहेरा, राधिका मरकाम, राधा पोडियाम, संगीता सेठिया, मंजू मण्डावी, दीपेश कौशिक एवं अविता पोटाई ने क्विज़ प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी जागरूकता प्रदर्शित की।

यह कार्यक्रम न केवल शैक्षणिक रूप से उपयोगी रहा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति विद्यार्थियों में जिम्मेदारी की भावना भी जागृत करने में सफल रहा।

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